विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई के साथ ही शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देने के लिए नए दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इनमें परिसरों में जीवंत माहौल, खेल गतिविधियों में हर छात्र की हिस्सेदारी और तनाव व भावनात्मक समस्याओं से जुड़े प्रबंधन के लिए छात्र सेवा केंद्रों का विकास सुनिश्चित करना शामिल है।यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बताया, ‘इन दिशानिर्देशों का मकसद छात्रों में शारीरिक फिटनेस व खेल गतिविधियों को बढ़ावा देना और सकारात्मक सोच को विकसित करना है। ये सभी छात्रों को विभिन्न प्रकार के तनाव, दबाव और उनकी व्यवहार संबंधी परेशानियों से बचाने और मानसिक स्थिति को मजबूत करने के लिए जरूरी है।’
दो प्रतिशत छात्र ही करते हैं खुल सुविधाओं का उपयोग
दिशानिर्देशों के अनुसार, उच्च शिक्षण संस्थानों में ऐसी गतिविधियों के लिए पर्याप्त मानव संसाधन और बुनियादी ढांचा होने के बावजूद इस समय शारीरिक गतिविधियां अनिवार्य नहीं हैं। अजीब विडंबना है कि संस्थान में प्रवेश लेने वाले हर छात्र से खेल शुल्क लिया जाता है, लेकिन खेल गतिविधि या खेल सुविधाओं का उपयोग उच्च शिक्षण संस्थान के कुल छात्रों के एक या दो प्रतिशत द्वारा ही किया जाता है।
संस्थानों में होंगे छात्र सेवा केंद्र
दिशानिर्देशों के अनुसार, ‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि स्वस्थ शरीर के विकास के लिए पर्याप्त शारीरिक गतिविधियां अपरिहार्य हैं, संस्थान के प्रत्येक छात्र की शारीरिक या किसी खेल गतिविधि में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की जरूरत है। यूजीसी का कहना है कि उच्च शिक्षण संस्थान में छात्र सेवा केंद्र होंगे जो छात्रों के तनाव और भावनात्मक परेशानी से जुड़ी समस्याओं के प्रबंधन और उनसे निपटने के लिए जिम्मेदार होंगे। इसमें छात्रों खास तौर पर ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों, विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की छात्राओं और विशेष जरूरतों वाले छात्रों को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने के लिए मानकीकृत और व्यवस्थित प्रबंध किए जाएंगे।
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि अच्छे पठन-पाठन का माहौल, उचित मूल्यांकन प्रणाली और सभी के साथ समतापूर्ण व निष्पक्ष व्यवहार के लिए जीवंत परिसर एक आवश्यक तत्व है। यह अकादमिक और पाठ्येत्तर गतिविधियों के अलावा जमीनी प्रशिक्षण, रोजगार के अवसर से जुड़ी गतिविधियों, शैक्षणिक दौरों व ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप के जरिये समाज और ईकोलाजी से जुड़ाव के जरिये हो सकता है। यूजीसी का कहना है कि छात्रों के हित में इन दिशानिर्देशों में दिए गए निर्देशों पर अमल सुनिश्चित करने के लिए सभी उच्च शिक्षण संस्थान आर्डिनेंस, नियामक प्रविधान और अन्य नियम बना सकते हैं या उनमें संशोधन कर सकते हैं।