नई दिल्ली: ‘‘सोशल मीडिया की नैतिकता और शिष्टाचार, गूगल का बेहतर उपयोग कैसे करें, योग-प्राणायाम और फिर से लेखन शुरू करना” जैसे विषय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा विकसित ‘‘जीवन कौशल” पाठ्यक्रम का हिस्सा है।
आयोग ने हाल ही में देश भर में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम में ‘‘जीवन कौशल” नामक कार्यक्रम शुरू किया था। कार्यक्रम में आठ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को कवर किया गया है, जिसे किसी भी सेमेस्टर में समायोजित किया जा सकता है और इसका उद्देश्य छात्रों में भावनात्मक और बौद्धिक क्षमताओं को विकसित करना तथा मौखिक एवं गैर-मौखिक संचार कौशल विकसित करना है।
यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘आज जब हम लेखन कौशल और संचार कौशल के बारे में बात करते हैं, तो हम सोशल मीडिया पर लेखन को नजरअंदाज नहीं कर सकते। सोशल मीडिया वेबसाइटें लोगों से संपर्क बनाने व उनसे जुड़ने का एक अच्छा माध्यम हैं लेकिन छात्रों को इनके फायदे और नुकसान का पता होना चाहिए। ” उन्होंने कहा, ‘‘सोशल मीडिया के कुछ नैतिक मानदंड और शिष्टाचार होना चाहिए और पाठ्यक्रम उन्हें वही सिखाएगा। ‘गूगल सर्च’ का बेहतर उपयोग कैसे करें, इसके लिए भी एक मॉड्यूल तैयार किया गया है।”
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अधिकारी ने कहा कि प्राय: छात्रों को पता नहीं होता है कि सीवी, रिज्यूमे और बायोडेटा के बीच क्या अंतर होता है। एक अच्छा रिज्यूमे लिखना भी जीवन का एक कौशल ही है, जिसे प्रत्येक छात्र को पेशेवर दुनिया में प्रवेश करने से पहले सीखना चाहिए। अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर शिक्षार्थी प्यार और करुणा को आचरण में लाना सीखते हैं तो उन्हें क्या लाभ होगा? और यदि वे ये नहीं सीखते हैं तो वे क्या गंवा देंगे? ये चीजें उन्हें पता होना चाहिए।
टीम के एक सदस्य और टीम के एक नेता के तौर पर उनमें सुनने के क्या कौशल होने चाहिए व दोनों स्थिति में कितना अलग होना चाहिए? इन सभी कौशलों को छात्रों को सिखाया जाना चाहिए।” पाठ्यक्रम में तीन ऐच्छिक विषय हैं – एकात्म मानव, योग, प्राणायाम और कृतज्ञता भाव। अधिकारी ने बताया, ‘‘पाठ्यक्रम को एक विशेषज्ञ समिति द्वारा विकसित किया गया है जिसका उद्देश्य हमारे स्नातक छात्रों को उनकी वास्तविक क्षमता को उजागर करना और उन्हें समाज का एक बेहतर व जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित करना है।”
Source: NDTV