केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के सैकड़ों स्कूलों में प्रयोगशाला नहीं हैं। ऐसे में उन स्कूलों के छात्रों को इस बार परेशानी होगी, जहां के बच्चों को अब तक बिना प्रायोगिक परीक्षा दिए ही अंक मिलते थे। पाटलिपुत्र सहोदया कॉम्प्लेक्स की मानें तो 2019 की 12वीं बोर्ड परीक्षा में दस हजार के लगभग परीक्षार्थियों ने प्रायोगिक परीक्षा नहीं दी और उन्हें अंक दे दिये गये।
बोर्ड परीक्षा में प्रायोगिक परीक्षा को लेकर इस धांधली की शिकायत प्रदेश भर के सैकड़ों शिक्षकों ने सीबीएसई से की। शिक्षकों ने बोर्ड को बताया कि किस तरह से नकली छात्रों को सामने लाकर जबरदस्ती प्रायोगिक परीक्षा करवायी जाती है। ये छात्र मौखिक परीक्षा(वाइवा) में फेल हो जाते हैं, लेकिन जबरदस्ती स्कूल वाले धमकी देकर अंक दिलवाते हैं। इसके बाद बोर्ड ने इसे संज्ञान में लिया है।
बोर्ड की मानें तो इस बार उन छात्रों को पकड़ा जायेगा, जो प्रायोगिक परीक्षा के समय कोटा और चेन्नई में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करते रहते हैं। ये छात्र केवल सैंद्धांतिक परीक्षा देने आते हैं। प्रायोगिक परीक्षा में बिना परीक्षा दिये अंक आये, इसके लिए एक्सटर्नल के साथ स्कूलों की सांठ-गांठ होती है।
प्रायोगिक परीक्षा में 30 में आये 29 अंक: सीबीएसई की मानें तो कई छात्रों के रिजल्ट में गड़बड़ी पकड़ में आयी। ऐसे रिजल्ट सामने आये जिसमें छात्र को थ्योरी में दो और तीन अंक थे, लेकिन उनके प्रैक्टिकल में 30 में 29 अंक तक आये। ऐसे छात्रों की संख्या काफी थी।
जांच में पता चला कि ये छात्र प्रायोगिक परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए थे। चूंकि रिजल्ट निकल चुका था इसलिए ऐसे में छात्र हित में कोई कार्रवाई नहीं हुई।
छात्रों को हो सकेगा ये नुकसान
- प्रायोगिक परीक्षा में अनुपस्थिति रहने पर साल हो जायेगा बर्बाद
- एडमिट कार्ड लेकर संबंधित सेंटर पर जाकर परीक्षा नहीं देंगे तो अनुपस्थित हो जायेंगे
- दो साल प्रयोगशाला में क्लास नहीं की, ऐसे में प्रैक्टिकल परीक्षा देने में मुश्किल आयेगी
- प्रयोगशाला के उपकरण (इंस्ट्रूमेंट) की जानकारी नहीं होने से अंक नहीं मिलेंगे
सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने बताया कि बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा में धांधली होती है। जब इसकी जांच की गयी तो कई बातें सामने आयीं। प्रायोगिक परीक्षा में सभी विद्यार्थियों को शामिल होना होगा। इसके लिए नियम में बदलाव किया गया है।
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